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Wednesday, April 6, 2011

हजारों का मसीहा -अन्ना हज़ारे


कैंसर से भी घातक ये जो भ्रष्टाचार है,
कल्पना से कहीं बड़ा इसका आकार है,

वो भूखा हमारे लिए मरने को तैयार है ,
उसे अनदेखा करना क्या सही व्यवहार है?

ना चाहत है ख्याति की , ना पैसे चाहे वो,
इन्साफ सभी के लिए जैसे तैसे चाहे वो,

डरते हैं ये नेता जो बन गया लोक -पाल बिल,
नेताओं और जजों की कुर्सियां जाएँगी हिल,

मुन्नी और शीला को तो खूब गाये तुम,
जो है सच्चा हीरो वो कैसे हो जाए गुम?

गर उसे कुछ हो गया तो मर जायेंगे सभी,
लाख रो लोगे , फिर भ्रष्टाचार मिटेगा ना कभी,

इस देश का युवा जिस दिन जाग जायेगा,
भ्रष्टाचार मुक्त भारत उभर कर सामने आयेगा,

कुछ नहीं कर सकते तो यारों जनचेतना जगाओ,
अन्ना हजारे के सपने से सबको अवगत कराओ!

5 comments:

  1. अच्छा है । और बेहतर हो सकता था ।

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  2. भ्रष्टाचार कि सच्चाई को आपके शब्द सही अर्थो में परिभाषित करतें है. आपने समय कि धारा का मूल्याँकन सही किया है, साथ ही वर्तमान स्थितियों पर कि गयी चोट मन को आंदोलित करती है उम्मीद है कि आप आगे भी गलत व्यवस्था पर करारी चोट करते रहेंगे .....

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  3. Well said Syu...munni aur sheela ke jawani to khoob gaey hum..jesne desh main ke bhrashtachar meetane keleay Jawani gawaey us uske geet gane se katra gaey hum...!!!

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  4. बहोत सार्थक प्रयास है , सुयश ! शाब्बाश !
    अगर एक व्यक्ति सिर्फ दो लोगों को ये सन्देश फारवर्ड करे
    और जिन्हें ये मैसेज मिले वे भी महज दो - दो लोगों को फारवर्ड करते जाएँ
    तो 50 - 60 प्रयास के बाद जितने लोगों तक बात पहुंचेगी उसकी गिनती कोई कैलकुलेटर
    नहीं कर सकता, तो बस शुरू करतें है ...... पहले हम

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  5. Sundar rachna Suyash . Aapke pitashree ke deewaane to hum pehle hi the, lagta hai praachi se ek aur nakshtra ubhar rahaa hai. Shubhkaamnaayen aur aasheesh . (RAVI)

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